Vol. 43 No. 3 (2019): प्राथमिक शिक्षक
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बाल्यावस्था में मनोसामाजिक विकास की रूपरेखा

कृष्ण चंद्र चौधरी
असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग, एस.बी. कॉलेज, आरा (वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय)
प्रभात कुमार मिश्र
प्रोफेसर, शैक्षिक मनोविज्ञान एवं शिक्षा आधार विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नई दिल्ली

Published 2025-09-02

How to Cite

चौधरी क. च., & मिश्र प. क. (2025). बाल्यावस्था में मनोसामाजिक विकास की रूपरेखा. प्राथमिक शिक्षक, 43(3), p.46–51. https://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4577

Abstract

प्रत्येक बच्चा अपने आप में अलग एवं अनोखा होता है और विशेष क्षमताएँ लिए जन्म लेता है, जिन्हें आगे और विकसित किया जा सकता है। अच्छा प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा केंद्र बच्चों की इन क्षमताओं एवं भिन्नताओं का सम्मान करता है। बच्चे का विकास, विकास के विभिन्न पहलुओं से प्रभावित होता है, जो शारीरिक, मनोसामाजिक, भौतिक, भावनात्मक एवं बौद्धिक विकास को सुनिश्चित करता है। विकास के सभी पहलुओं का एक-दूसरे पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। अतः बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का उद्देश्य उन्हें प्रारंभिक बाल्यावस्था में समग्र रूप से विकसित होने में सहायता करना और उन्हें विकास के स्तर को प्राप्त करने में हर संभव सहायता प्रदान करना है। प्रस्तुत लेख इसी संदर्भ में बच्चों के मनोसामाजिक विकास के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझने की कोशिश करता है।