Vol. 44 No. 4 (2020): प्राथमिक शिक्षक
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साँचे से होगा परिवर्तनकारी सुधार और दूरगामी प्रभाव

कृष्ण चंद्र चौधरी
सहायक प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग, एस. बी. कॉलेज, (वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय), आरा

Published 2025-09-02

Keywords

  • मानव क्षमता,
  • जीवन-पर्यंत शिक्षा,
  • त्रिभाषा फ़ॉर्मूले

How to Cite

चौधरी क. च. (2025). राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साँचे से होगा परिवर्तनकारी सुधार और दूरगामी प्रभाव. प्राथमिक शिक्षक, 44(4), p.17-25. https://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4692

Abstract

शिक्षा से पूर्ण मानव क्षमता का मूलभूत विकास होता है। भारत सरकार द्वारा 2015 में अपनाए गए सतत विकास एजेंडा 2030 के लक्ष्य 4 में परिलक्षित वैश्विक शिक्षा विकास कार्यसूची के अनुसार विश्व में 2030 तक सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने और जीवन-पर्यंत शिक्षा के अवसरों को बढ़ावा दिए जाने' का लक्ष्य है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत विद्यालय शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में कई अहम बदलाव हुए हैं। पिछले तीन दशकों में देश, समाज की अर्थव्यवस्था और दुनिया में बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। 21 वीं शताब्दी की समय की माँग तथा देश की जरूरतों के कारण शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने की आवश्यकता थी। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा की पहुँच, समतामूलक, गुणवत्तापूर्ण, वहनीय शिक्षा व उत्तरदायित्व के साथ 5+3+3+4 की अवधारणा, भाषाई विविधता (त्रिभाषा फ़ॉर्मूले) को बढ़ावा और संरक्षण जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 और 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति 2020 है। इस शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय, सकारात्मक सोच की प्रक्रिया व नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने पर विशेष बल दिया गया है। इसके साथ ही सर्वांगीण विकास, बहु-विषयक एवं भविष्यवादी शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और शिक्षा में बेहतर पहुँच के लिए प्रौद्योगिकी का समान उपयोग शामिल है। यह 21 वीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति है, जिसका लक्ष्य राष्ट्र के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकता को पूरा करना है। क्योंकि विद्यालय शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एकसमान पहुंच सुनिश्चित होनी चाहिए और ये 3 से 18 आयु वर्ग के विद्यार्थी के लिए होगी। अब तक हमारी शिक्षा व्यवस्था 'क्या' सोचने पर आधारित थी, जबकि नई व्यवस्था में कैसे' सोचने पर जोर दिया गया है। अतः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21 वीं सदी के नए भारत की नींव तैयार करने वाली है। यह लेख शिक्षा संबंधी एक अंर्तदृष्टि विकसित करने में सहायक है कि शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने में किस प्रकार की रणनीति अपनाई जानी चाहिए। भारत जैसे विविधता भरे देश में यह और भी जरूरी है कि रणनीतियों में भी पर्याप्त विविधता हो।