Vol. 43 No. 1 (2019): प्राथमिक शिक्षक
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संज्ञानात्मक विकास की अवधारणा

कृष्ण चन्द्र चौधरी
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, मनोविज्ञान विभाग, एस. बी. कॉलेज (वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय), आरा, बिहार
प्रभात कुमार मिश्र
एसोसिएट प्रोफ़ेसर, शैक्षिक मनोविज्ञान और शिक्षा आधार विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नई दिल्ली

Published 2025-09-02

Keywords

  • बाल्यावस्था,
  • मनोसामाजिक वातावरण

How to Cite

चौधरी क. च., & मिश्र प. क. (2025). संज्ञानात्मक विकास की अवधारणा. प्राथमिक शिक्षक, 43(1), p.68-78. https://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4598

Abstract

बाल्यावस्था जीवन की सर्वाधिक संवेदनशील अवस्था है। इस अवस्था में बच्चा तीव्र गति से सीखता है। जीवन के आरंभिक छह वर्ष विकास की दर के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। विकास की दर इस चरण में जीवन के बाकी चरणों से अधिक तीव्र होती है। मनुष्य के मस्तिष्क से संबंधित कई शोधों से इस तथ्य के पुख्ता साक्ष्य मिले हैं कि मस्तिष्क का 90 प्रतिशत विकास इस उम्र तक हो जाता है। शोध इस बात को भी सत्यापित करते हैं कि मस्तिष्क का विकास, स्वास्थ्य, भोजन एवं देखभाल की गुणवत्ता पर निर्भर होने के साथ मनोसामाजिक वातावरण की गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है।