Vol. 44 No. 01 (2023): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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सीखने-सिखाने के एक संसाधन के रूप में विद्यार्थियों की भाषायी विविधिता

शशि कुशवाहा
*शोधार्थी, शिक्षा संकाय, काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश 221005

Published 2025-12-04

Keywords

  • बहुभाषावाद,
  • विविध भाषाओँ,
  • वाराणसी,
  • वर्णनात्मक सर्वेक्षण विधि

How to Cite

कुशवाहा श. (2025). सीखने-सिखाने के एक संसाधन के रूप में विद्यार्थियों की भाषायी विविधिता. भारतीय आधुनिक शिक्षा, 44(01), p.61-69. https://doi.org/10.64742/qwjxns26

Abstract

राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भाषा शिक्षा और भाषा अधिगम को बहुभाषावाद के रूप में वर्णित किया गया है। साथ ही, शिक्षण-अधिगम में बहुभाषावाद को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हु ए इस शोध-पत्र में वाराणसी शहर (जो कि विविध भाषायी संस्कृति से परिपूर्ण  है) में स्थित विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 8 के विद्यार्थियों की भाषायी विविधता की स्थिति के शोध अध्ययन को प्रस्तुत किया  गया है। इस शोध अध्ययन में वर्णनात्मक सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया था। इस शोध अध्ययन हेत न्यादर्श के रूप में वाराणसी शहर के केंद्रीय माध्‍यमि‍क शि‍क्षा बाेर्ड (सी.बी.एस.ई.) एवं यू.पी. बोर्ड से मान्यता प्राप्‍त उच्च प्राथमिक स्तर के विद्यालयों में से कक्षा 8 (सत्र 2019–2020) में अध्ययनरत विद्यार्थियों का चयन किया गया था। आँकड़ों के संकलन हेतु भाषायी  विविधता जाँच सूची नामक उपकरण का उपयोग किया गया था। संकलित आँकड़ों का विश्‍लेषण आवत्तिृ एवं प्रतिशत के रूप में किया गया था। इस शोध अध्ययन के परिणाम में पाया गया कि वाराणसी शहर में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा आठ में अध्ययनरत विद्यार्थियों में 21 भाषाओँ की  विविधता पाई गई। यह परिणाम शिक्षक व शिक्षार्थी दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे, क्योंकि यदि शिक्षक को विविध भाषाओँ के विभिन्न पक्षों, जैसे— रचनात्मक, साहित्यिक, सांस्कृति क, मनोवैज्ञानिक एवं सौंदर्यात्मक आदि का ज्ञान होगा तो शिक्षक कक्षा में इस विविधता को संसाधन के रूप में उपयोग कर सकते हैं।