Vol. 44 No. 01 (2023): भारतीय आधुनिक शिक्षा
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अनुमान लगाना— पठन-पाठन की एक मूल्यवान युक्ति

पूजा बहुगुणा
असिस्टेंट प्रोफेसर, इडसं ट्रेनिंग एंड रिसर्रच इंस्टिट्यूट, सरजापुरा, बेंगलूरू 562125

Published 2025-12-04

Keywords

  • अनुमान लगाना,
  • बुनियादी कौशल,
  • विकासात्मक चरण,
  • पठन प्रक्रिया

How to Cite

बहुगुणा प. (2025). अनुमान लगाना— पठन-पाठन की एक मूल्यवान युक्ति. भारतीय आधुनिक शिक्षा, 44(01), p.20-25. https://doi.org/10.64742/emn6es20

Abstract

अनुमान लगाना पठन का एक बुनियादी कौशल माना गया है। हम प्रायः पढ़ते समय अनुमान लगाते हैं। मनोभाषाविद् स्मिथ  (1975) ने बताया कि अनुमान लगाना पठन क्रिया का मूल  है। अनुमान लगाना, बच्चों में विकसित हो रही पठन प्रक्रिया का विकासात्मक चरण है। पढ़ते समय अनुमान लगाना एक स्वाभाविक क्रिया है, जिसके होने का आभास भी शायद नहीं हो पाता, पर अनुमान लगाने का पठन से गहरा रिश्ता है। फिर क्यों हम बच्चों को पढ़ने और सीखने के शरुआती वर्षोँ में अनुमान लगाने की आजादी नहीं देते? कक्षा में बच्चे द्वारा अनुमान लगाए जाने को स्वीकार करना, उसे अनुमान लगाने देना, बच्चों में पढ़ने के कौशल विकसित करने में सहायक होता है। यह लेख पढ़ते समय अनुमान लगाने के महत्व को दर्शाता है। बच्चे कैसे अनुमान लगाते हुए पढ़ते हैं और पढ़ने का आनंद उठाते हैं, इसे लेखक द्वारा उदाहरण देकर प्रस्तुत किया गया है |