खंड 45 No. 2 (2021): प्राथमिक शिक्षक
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प्राथमिक शालाएँ शैक्षिक शोध की उर्वर भूमि

पवन सिन्हा
एसोसिएट प्रोफ़ेसर, मोतीलाल नेहरू कॉलेज, विल्ली विश्वविद्यालय

प्रकाशित 2025-10-24

संकेत शब्द

  • उर्वर भूमि

सार

शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह के परिवर्तन की चर्चा अकसर होती रहती है और उन चर्चाओं में जिस तरह के सरोकार व्यक्त किए जाते हैं, वे शैक्षिक शोध की उर्वर भूमि का कार्य करते हैं। जो आज है, वह कल नहीं था और जो आज है वह कल नहीं होगा। इस सिद्धांत को गहराई से देखें तो कहा जा सकता है कि परिवर्तन की राह को अग्रसर करने में शोध की अपनी महत्ती भूमिका है। परिवर्तन का कलेवर भी उसी शैक्षिक शोध का परिणाम है। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले शोध स्वयं के 'घर' अर्थात कक्षायी जगत में कितने कारगर या उपयोगी होते हैं, यह तय करना कठिन नहीं है। अनेक शोध ऐसे होते हैं जो अभी हाल-फिलहाल के शैक्षिक परिवर्तन की उपज होते हैं तो कुछ शोध ऐसे होते हैं जो वर्षों के चिंतन, परिवर्तन या समाधान के लिए चिंतित सोच, छटपटाहट का परिणाम होते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में शिक्षा के लिए उपयोगी और शिक्षा की गुणवत्ता के संवर्धन हेतु शोध को जो स्थान दिया गया है, प्रस्तुत लेख उसी के संदर्भ में प्राथमिक शालाओं को शोध की एक उर्वर भूमि के रूप में विश्लेषित करने का प्रयास है।