Vol. 44 No. 4 (2020): प्राथमिक शिक्षक
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हाशिए पर रहने वाले बच्चे व्यक्तित्व और अस्तित्व की तलाश

पवन सिन्हा
एसोसिएट प्रोफेसर, मोतीलाल नेहरू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय

Published 2025-09-02

Keywords

  • राष्ट्र-निर्माण,
  • हाशिए,
  • व्यक्तित्व,
  • अस्तित्व

How to Cite

सिन्हा प. (2025). हाशिए पर रहने वाले बच्चे व्यक्तित्व और अस्तित्व की तलाश. प्राथमिक शिक्षक, 44(4), p.5-16. https://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4691

Abstract

बच्चे राष्ट्र की संपत्ति हैं, धरोहर हैं। लेकिन गहराई से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि राष्ट्र-निर्माण और उसकी उन्नति के कर्णधार बच्चे ही हैं जो कुछ वर्षों बाद राष्ट्र के युवा हो जाएँगे। यूँ भी भारत इस समय दुनिया का सबसे युवा देश है! हमारे देश में बच्चे जिन-जिन स्थितियों में रहते हैं या गुजर-बसर करते हैं उनमें वैविध्य है। कुछ बच्चे समाज की मुख्य धारा में हैं तो कुछ बच्चे हाशिए पर! कुछ बच्चे इस 'हाशिए' से भी परे जाने वाले हैं और ये वे बच्चे हैं जो फुटपाथ पर अपना बचपन, जीवन गुज़ारते हैं। अभी यहाँ, कल वहाँ, परसों न जाने कहाँ? जीवन में केवल 'फुटपाथ', 'बस्ती' और 'चौराहा' ही बदलता है... जीवन कब बदलेगा यह पता नहीं। हाशिए पर रहने वाले बच्चे भी अपने अधिकार का 'अधिकार' रखते हैं। जीने का अधिकार भी और शिक्षा का अधिकार भी! लेकिन फिर भी ये बच्चे अपने व्यक्तित्व और अस्तित्व के लिए संघर्षरत रहते हैं। प्रस्तुत शोध पत्र हाशिए पर रहने वाले इन्हीं बच्चों के व्यक्तित्व-विशेषकों को खोजने का प्रयास है!