Published 2025-10-24
Keywords
- प्राथमिक स्तर की शिक्षा,
- गुरुकुल शिक्षा प्रणाली,
- आंगनबाड़ी शिक्षा व्यवस्था
How to Cite
Abstract
प्राथमिक स्तर की शिक्षा का महत्व गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से ही रहा है। यदि भारतीय शिक्षा के इतिहास का अध्ययन किया जाए तो प्रारंभ में प्राथमिक तथा उच्च शिक्षा का ही प्रावधान था। आजादी के बाद से ही प्राथमिक स्तर की शिक्षा में सुधार के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। चूँकि प्राथमिक शिक्षा ही बच्चे की बुनियादी शिक्षा होती है जिसके आधार पर वह उच्च शिक्षा रूपी भवनों का निर्माण कर सकता है। इस स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना भारत सरकार की प्राथमिकता रही है फिर भी आज भारतवर्ष में सबसे बुरी स्थिति सरकार के अधीन प्राथमिक विद्यालयों की ही मानी जाती है। प्राथमिक स्तर की शिक्षा में सुधार हेतु सरकार द्वारा और प्रचल कदम उठाए जाने की जरूरत है। संविधान की धारा 21ए के फलस्वरूप निःशुल्क एवं अनिवार्य चाल शिक्षा का अधिकार (आर.टी.ई.) अधिनियम 2009 देश में वर्ष 2010 में लागू होने के बाद से ही बच्चों के शिक्षण के लिए नवोन्मेषी शिक्षण पद्धतियों के प्रयोग की होड़ ही लग गई है। प्रस्तुत शोध पत्र के माध्यम से यह जानने का प्रयास किया गया है कि प्राथमिक विद्यालयों में जो बच्चे आँगनबाड़ी में पढ़ने के पश्चात् प्रवेश लेते हैं उनकी उपलब्धि सीधे प्रवेश लेने वाले चच्चों की तुलना में कम होती है या ज्यादा? इस समस्या के लिए इन बच्चों का न्यादर्श की रेंडम विधि का प्रयोग करके उनकी शैक्षिक उपलब्धि का पता लगाया गया है जिसके लिए सांख्यिकी की टी-परीक्षण प्रविधि का प्रयोग किया गया है। निष्कर्ष के आधार पर कहा जा सकता है कि जो बच्चे आँगनबाड़ी में पढ़ने के पश्चात् प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश लेते हैं उनकी समझ सीधे प्रवेश लेने वाले बच्चों से अधिक होती है। यह कहा जा सकता है कि आंगनबाड़ी शिक्षा प्रणाली बच्चों के उपलब्धि स्तर में वृद्धि करने के लिए एक सशक्त शिक्षा व्यवस्था है। इसके प्रभाव को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में आंगनबाड़ी शिक्षा व्यवस्था के दिए गए महत्व से भी जाना जा सकता है।