Published 2025-06-17
How to Cite
Abstract
बचपन बड़ा ही कोमल समय होता है और यदि ऐसे में बच्चों को अभिभावकों का साथ और मार्गदर्शन मिल जाए तो विकास की प्रक्रिया को और भी बल मिलता है। यह तभी संभव है जब अभिभावक बच्चों के जीवन और उनकी शिक्षा से जुड़े विषयों में रुचि लें और यथासंभव अपना योगदान दें। उनका यही योगदान और भागीदारी ही सहभागिता कहलाती है। सहभागिता जितनी मजबूत होगी, उतनी अधिक प्रभावी शिक्षा एवं उज्जवल भविष्य होगा बच्चों का। बच्चों के जीवन में अभिभावकों की सहभागिता के अंतर्गत बच्चों का खान-पान, समाजीकरण, व्यवहार, आचरण, बातचीत और कपड़े पहनने का तरीका आदि आते हैं। यदि शिक्षा में अभिभावकों के योगदान की बात हो तो इसका अर्थ है, घर और पूर्व-प्राथमिक केंद्र दोनों ही स्तर पर होने वाली शैक्षिक गतिविधियों में अभिभावकों की सक्रिय भूमिका का।