Vol. 42 No. 4 (2018): प्राथमिक शिक्षक
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प्राथमिक शिक्षा व शिक्षकों से जुड़ी विपरीत परिस्थितियाँ एवं उनका सामना

अलका त्रिपाठी
शोध छात्रा, शिक्षा संकाय, बी.एच.यू., वाराणसी
अंजली बाजपेयी
प्रोफेसर, शिक्षा संकाय, बी.एच.यू., वाराणसी

Published 2025-07-30

Keywords

  • प्रारंभिक शिक्षा,
  • मानसिक विकास,
  • अध्ययन-अध्यापन कार्य

How to Cite

त्रिपाठी अ., & बाजपेयी अ. (2025). प्राथमिक शिक्षा व शिक्षकों से जुड़ी विपरीत परिस्थितियाँ एवं उनका सामना. प्राथमिक शिक्षक, 42(4), p.48-52. http://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4529

Abstract

एक बच्चे के जीवन में उसकी प्रारंभिक शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व होता है। एक बच्चा कैसा बनेगा यह उसकी शुरुआती शिक्षा अर्थात प्राथमिक शिक्षा पर निर्भर करता है। अगर उनकी  शिक्षा अच्छी हुई है तो उसके सही मानसिक विकास की संभावना बढ़ जाती है  नहीं तो विपरीत भी सत्य है। जब हम प्राथमिक शिक्षा अच्छी होने की बात करते हैं, तो उसमें एक बहुत महत्वपूर्ण बात छिपी होती है, और वह यह है कि प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षक ही विद्यार्थियों को बनाने और बिगाड़ने में मदद करता है। हम सभी जानते हैं कि देश में प्राथमिक विद्यालयों की क्या स्थिति है, देश में, किस तरह की सुविधाएँ हैं प्राथमिक विद्यालयों में ऐसी स्थिति एक शिक्षक के सामने एक कठिन समस्या पैदा करती है। शिक्षक का दायित्व है कि वे एक बच्चे के विकास में अपना योगदान दें।

लेख में हम प्राथमिक विद्यालयों से संबंधित कठिनाइयों की चर्चा करेंगे कि कैसे ये कठिनाइयाँ शिक्षकों के लिए विपरीत परिस्थितियाँ पैदा करती हैं और शिक्षक उन परिस्थितियों को कैसे दूर करके अध्ययन-अध्यापन कार्य को सुचारू रूप से चलाते हैं।