Vol. 39 No. 2-3 (2015): प्राथमिक शिक्षक
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टूटते जीवन मूल्यों में मार्गदर्शन एवं परामर्श की प्रासंगिकता

राघवेंद्र पति त्रिपाठी
अध्यापक परामर्शदाता, शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार
प्रभात कुमार मिश्र 
सहायक प्रोफ़ेसर, शैक्षिक मनोविज्ञान एवं शिक्षा आधार विभाग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली

Published 2025-06-17

How to Cite

त्रिपाठी र. प., & मिश्र प.क. (2025). टूटते जीवन मूल्यों में मार्गदर्शन एवं परामर्श की प्रासंगिकता. प्राथमिक शिक्षक, 39(2-3), पृ. 24-28. http://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4264

Abstract

वर्तमान हालात पर नज़र डालने पर समाज की जो तस्वीर उभर कर सामने आती है, उसमें विरोधाभास है। वह दिग्भ्रमित करती है। सत्य से बिलकुल परे। यह सर्वविदित तथ्य है कि मानव सभ्यता के उषाकाल से लेकर अब तक मानव-विकास की एक सुनहरी गाथा इतिहास के पन्नों में सिमटी पड़ी है जिसे पढ़कर, हम सब अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर सकते हैं। परंतु वर्तमान समय में चरित्रदिक हिंसा, भ्रष्टाचार एवं बेईमानी का तांडव-नृत्य देखकर भयभीत एवं स्तब्ध होना लाज़मी ही है। यह स्थिति अनेक सवालों को जन्म देती है।