खंड 45 No. 1 (2021): प्राथमिक शिक्षक
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शिक्षा की भारतीय दृष्टि

उषा शर्मा
प्रोफेसर प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.है.अ.प्र.प. नई दिल्ली

प्रकाशित 2025-10-24

संकेत शब्द

  • संस्कृति और शिक्षा

सार

प्रत्येक संस्कृति की अपनी एक शिक्षा होती है और प्रत्येक शिक्षा की अपनी एक विशिष्ट संस्कृति होती है। इस रूप में संस्कृति और शिक्षा एक-दूसरे के साथ परस्पर अंतः संबंधित हैं और एक-दूसरे को निरंतर प्रभावित करते हैं। संस्कृति का स्वरूप अभीतिक है और वह परंपराओं, व्यवहार, आचरण या चिंतन में प्रतिबिंबित होती है। इस तरह से अवचेतन में गहरे पैठी संस्कृति मनुष्य की सोच और उस सोच से अनुप्राणित हमारे व्यवहार को संचालित करती है। शिक्षा की संस्कृति भी शिक्षा के स्वरूप को व्याख्यायित करती है और एक संदर्भ विशेष में व्याख्यावित करती है। यह व्याख्या भारतीय संदभों में है तो शिक्षा का स्वरूप भी भारतीयता से अनुप्राणित होना चाहिए, क्योंकि शिक्षा का उपयोग उसी भारतीय समाज में किया जाना है। यही शिक्षा की भारतीय दृष्टि है जो भारतीय बच्चे को ही केंद्र में रखते हुए स्वयं को सपादित करती है। प्रस्तुत लेख वस्तुतः इसी प्रश्न के उत्तरों का अन्वेषण करता है कि अंततः भारत की शिक्षा का स्वरूप कैसा हो।