Published 2025-10-24
Keywords
- संस्कृति और शिक्षा
How to Cite
Abstract
प्रत्येक संस्कृति की अपनी एक शिक्षा होती है और प्रत्येक शिक्षा की अपनी एक विशिष्ट संस्कृति होती है। इस रूप में संस्कृति और शिक्षा एक-दूसरे के साथ परस्पर अंतः संबंधित हैं और एक-दूसरे को निरंतर प्रभावित करते हैं। संस्कृति का स्वरूप अभीतिक है और वह परंपराओं, व्यवहार, आचरण या चिंतन में प्रतिबिंबित होती है। इस तरह से अवचेतन में गहरे पैठी संस्कृति मनुष्य की सोच और उस सोच से अनुप्राणित हमारे व्यवहार को संचालित करती है। शिक्षा की संस्कृति भी शिक्षा के स्वरूप को व्याख्यायित करती है और एक संदर्भ विशेष में व्याख्यावित करती है। यह व्याख्या भारतीय संदभों में है तो शिक्षा का स्वरूप भी भारतीयता से अनुप्राणित होना चाहिए, क्योंकि शिक्षा का उपयोग उसी भारतीय समाज में किया जाना है। यही शिक्षा की भारतीय दृष्टि है जो भारतीय बच्चे को ही केंद्र में रखते हुए स्वयं को सपादित करती है। प्रस्तुत लेख वस्तुतः इसी प्रश्न के उत्तरों का अन्वेषण करता है कि अंततः भारत की शिक्षा का स्वरूप कैसा हो।