प्रकाशित 2025-10-24
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सार
उड़ीसा में कुल आबादी का एक चौथाई भाग (22.85 प्रतिशत) जनजातीय है (2011 जनगणना, पृ. सं. 8)। शिक्षा को किसी देश की सामाजिक एवं आर्थिक विकास का इंजन माना गया है। शिक्षा जहाँ एक तरफ व्यक्ति के विचारों, व्यवहारों, आशा-आकाक्षाओं एवं समझ में परिवर्तन लाकर उसके जीवन जीने की स्थिति में बदलाव लाती है, वहीं दूसरी तरफ उसकी आजीविका, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता आदि व्यवहार में उन्नति करती है। उड़ीसा के जनजातीय लोगों की शिक्षा बहुत ही कम और दयनीय स्थिति में है, जो हमारे देश और उड़ीसा प्रदेश के शैक्षिक औसत से ही नहीं बल्कि भारत के अन्य जनजातीय वर्गों के शैक्षिक औसत से भी बहुत कम है। शोध लेख वर्तमान में उड़ीसा की जनजातीय शिक्षा की स्थिति एवं चुनौतियों का विश्लेषण करने के साथ-साथ उसके निदान हेतु सुझाव भी देता है।