Published 2025-10-24
Keywords
- भाषा,
- संप्रेषण
How to Cite
Abstract
भाषा क्या है? इस प्रश्न का कोई न कोई उत्तर सबके पास है। सामान्य रूप से भाषा परस्पर विचार आदान-प्रदान, संप्रेषण का एक माध्यम है, प्रतीक व्यवस्था है, पैटर्न है, सोचने का साधन है इत्यादि। किंतु ये जवाब भाषा की व्यापकता और गहनता के प्रति उठने वाली जिज्ञासा को शांत नहीं करते। भाषा जितना बाह्य जगत के कार्य-व्यापार का साधन दिखती है वहीं आंतरिक स्तर की अनुभूति व वाक् विहीनता की स्थिति में भी किसी न किसी अन्य रूप में भाषा मौजूद होती है। इस पर और सोचने की आवश्यकता है। भाषा से जुड़े जागतिक पक्ष और संरचनात्मक स्तर से जुड़े प्रश्नों पर भाषा विज्ञान चर्चा करता है, किंतु भाषा क्या है को जानने-समझने के लिए इससे जुड़े दार्शनिक प्रश्न भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भाषा कोई बाह्य साधन है, आंतरिक प्रक्रिया है या दोनों, मनुष्यकृत है, ईश्वर जनित या प्रदत्त है, नित्य है या अनित्य, अनश्वर है या नश्वर, कब या किस काल में अस्तित्व में आई या हमेशा से है, भाषा साधन है या साध्य या दोनों ही है, भाषा और यथार्थ के मध्य कैसा संबंध है, ये प्रश्न गंभीर चिंतन को आमंत्रण देते हैं। भाषा जितनी मनोरम है, सरस है, सरल है, सुखदायी है, उतनी ही विचारणीय भी है। इसी समझ के साथ यह लेख भाषा के मायने व प्रकृति को लेकर विचार करता है। इसके साथ ही भाषा की अवधारणा और भाषा के उद्देश्य समझने के लिए प्राचीन भारतीय भाषा शास्त्रीय चिंतन का अवलंब लेता है।