Published 2025-10-24
Keywords
- कहानी कहने-सुनने,
- पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति,
- शिक्षणशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य
How to Cite
Abstract
प्रस्तुत शोध-पत्र कहानी कहने-सुनने एवं पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति के साथ शिक्षणशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से संलग्न होने का एक प्रयास है। यह शोध-पत्र शिक्षणशास्त्रीय प्रश्न रखता है, जैसे (1) पाठ्यपुस्तक में शामिल की जाने वाली कहानी के चुनाव के समय क्या पैमाना होना चाहिए? दूसरे शब्दों में पाठ्यपुस्तक में शामिल किए जाने के लिए एक अच्छी कहानी का पैमाना क्या हो? (2) पाठ्यपुस्तक में कहानी की प्रस्तुति करते समय कौन-से मुद्दे हमारे सामने होते हैं? (3) कहानी के पठन-पाठन का उद्देश्य क्या होना चाहिए? (4) विद्यालय स्तर पर
हिंदी की कहानी अध्ययन-अध्यापन के संदर्भ में किस तरह का शिक्षणशास्त्रीय विमर्श उपलब्ध होता है? प्रस्तुत शोध-पत्र भाषा के सामान्य उद्देश्यगत विमर्श एवं कहानी के शिक्षणशास्त्रीय विमर्श से प्रस्तुत शोध के लिए परिप्रेक्ष्य एवं विश्लेषण का तरीका विकसित करता है। भाषा के दर्शनशास्त्र से इस शोध-पत्र में अनुप्रयुक्त अवधारणाएँ हैं- हेमेनेउटिक्स और सामाजिक सांकेतिकता (Hermeneutics and Social Semiotics)| इसके अतिरिक्त कहानी की प्रस्तुति का तुलनात्मक विधि से विश्लेषण किया गया है। शोध-पत्र का क्षेत्र स्कूल के दो भिन्न भाषाई जगत (हिंदी और अंग्रेजी) हैं। शोध में यह भी देखने की कोशिश की गई है कि कहानी की एक समान विषय-वस्तु के साथ दो भिन्न भाषाई प्रस्तुति का शिक्षणशास्त्रीय निहितार्थ क्या है।