जनजाति क्षेत्र में निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन के प्रति अभिधारकों का प्रत्यक्षण
Published 2025-10-24
Keywords
- प्राथमिक शिक्षा के सार्वजनीकरण,
- निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा,
- मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा
How to Cite
Abstract
प्राथमिक शिक्षा के सार्वजनीकरण तथा निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करवाने हेतु स्वतंत्रता पूर्व एवं स्वतंत्रता पश्चात् निरंतर प्रयास किए गए। आजादी से पूर्व बड़ौदा नरेश सर गायकवाड़, गोपाल कृष्ण गोखले, सर चीतलवाड़ एवं इब्राहीम रहीमतुल्ला ने प्रारंभिक शिक्षा के सार्वजनीकरण हेतु सराहनीय प्रयास किए, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। आजाद भारत में समय-समय पर बने शिक्षा आयोगों एवं शिक्षा समितियों ने प्रारंभिक शिक्षा को निःशुल्क उपलब्ध करवाने की सिफारिशें की, लेकिन किन्हीं कारणों से ये सिफारिशें लागू नहीं हो पाही लंबी कानूनी प्रक्रिया एवं 86वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा 6-14 वर्ष के आयु समूह के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया। यह पूरे देश में 1 अप्रैल, 2010 को लागू हुआ। यह अधिनियम राजस्थान में भी इसके अगले वर्ष ही क्रियान्वित कर दिया गया। इस अधिनियम का राजस्थान के जनजातीय क्षेत्र (बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, सिसेरी व उदयपुर) में भी व्यापक प्रभाव पड़ा क्योंकि यह क्षेत्र सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन के साथ-साथ शैक्षिक दृष्टि से भी अत्यंत पिछड़ा है। प्रस्तुत शोध कार्य में इस अधिनियम के प्रति शिक्षकों एवं शिक्षाधिकारियों के प्रत्यक्षण स्तर को जानने का प्रयास किया गया है। ऐसा करने का कारण यह है कि इस अधिनियम का सफल क्रियान्वयन इन्हीं अभिधारकों की मंशा, सोच एवं कार्यप्रणाली पर निर्भर है। शोध कार्य में दत्त संकलन हेतु सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया एवं सांख्यिकी विधि में प्रतिशत एवं काई स्कायर का प्रयोग किया गया।