Vol. 45 No. 4 (2021): प्राथमिक शिक्षक
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बच्चों का कक्षा में मूल्यांकन द्वारा सामाजिक स्तरीकरण एक समीक्षा

एम.एम. रॉय
पाठ्यचर्चा एवं शिक्षणशास्त्र संकाय जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान, घुम्मनहेडा, नयी दिल्ली
मीना सहरावत
सहायक आचार्य पाठ्यचर्चा एवं शिक्षणाशास्त्र संकाय, जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान, धुम्मनहेड़ा, नवी दिल्ली

Published 2025-10-24

Keywords

  • शिक्षक का कर्तव्य,
  • राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005,
  • रूढ़िवादी मूल्यांकन

How to Cite

रॉय ए., & सहरावत म. (2025). बच्चों का कक्षा में मूल्यांकन द्वारा सामाजिक स्तरीकरण एक समीक्षा. प्राथमिक शिक्षक, 45(4), p.44-50. https://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4815

Abstract

शिक्षा पर सभी का अधिकार है चाहे वह किसी भी सामाजिक, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आया हुआ बच्चा हो। शिक्षक का कर्तव्य है कि वह बच्चे की पृष्ठभूमि को समझे और उसके अनुभव को कक्षा में सम्मान दे, यदि ऐसा नहीं होता है तो इसी प्रकार के बच्चे कक्षा में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया से अलग हो जाते हैं और ऐसा अधिक होने पर स्कूल छोड़ने का एक कारण बनते हैं। बच्चों का सीखने के एक ही पक्ष से संबंध नहीं होता है जैसा कि स्कूलों में मापा और बाँचा जाता है ऐसी रूढ़िवादी मूल्यांकन की प्रक्रिया के द्वारा शिक्षक ऐसे बच्चों पर ना सीखने का सूचक लगा देते हैं। जबकि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के अनुसार मूल्यांकन का यह आशय बिल्कुल भी नहीं है। इस लेख का उद्देश्य सिर्फ यही है कि हम सभी यह पहचान पाएँ कि बच्चों की सामाजिक पृष्ठभूमि, उनके अनुभव और मूल्यांकन करने के तरीके कहीं उनके सीखने के बीच में अवरोधक ना बने और सभी को सीखने का मौका मिले जिससे कि उनकी विविधता और अनुभव का सम्मान कक्षा में हो।