Vol. 44 No. 2 (2020): प्राथमिक शिक्षक
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बहुभाषी भारत में मातृभाषा का महत्व और उसकी शिक्षा में उपयोगिता

रितिका
कनिष्ठ परियोजना सहायक, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), नई दिल्ली

Published 2025-09-02

Keywords

  • भाषायी विविधता,
  • मातृभाषाओं के विकास,
  • मातृभाषा शिक्षण

How to Cite

रितिका. (2025). बहुभाषी भारत में मातृभाषा का महत्व और उसकी शिक्षा में उपयोगिता. प्राथमिक शिक्षक, 44(2), p.57-61. https://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4717

Abstract

किसी भी देश में भाषायी विविधता तभी विद्यमान रह सकती है जब वहाँ के लोगों की मातृभाषा पुष्पित और पल्लवित हो। प्रारंभिक स्तर पर मातृभाषा/घर की भाषा में ज्ञान अर्जन ही श्रेष्ठतम माना जाता है और मातृभाषा शिक्षण और सीखने के प्रतिफलों में वृद्धि करती है। यह बच्चों में योग्यता, समझ और रचनात्मकता का संचार करता है। भाषा, ज्ञान अर्जन, वैचारिक अभिव्यक्ति, सामाजिक व्यवहार आदि का माध्यम होती है। शिक्षा का सीधा संबंध भाषा से है। नई शिक्षा नीति, प्रारूप 2019 में मातृभाषाओं के विकास के लिए कई प्रावधान प्रस्तुत किए हैं जो शिक्षण में मातृभाषाओं की उन्नति के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं। इस लेख का उद्देश्य इस तथ्य पर प्रकाश डालना है कि ज्ञान अर्जन में मातृभाषा एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करती है और मातृभाषाओं का विकास बहुभाषिकता को बनाए रखने में मदद करता है।

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।

- भारतेंदु हरिश्चंद्र