Vol. 44 No. 4 (2020): प्राथमिक शिक्षक
Articles

गतिविधि क्षेत्रों में प्रारंभिक साक्षरता को बढ़ावा

रौमिला सोनी
एसोसिएट प्रोफेसर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली

Published 2025-09-02

Keywords

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020,
  • फॉउडेशन लिटरेसी और न्यूमरेसी,
  • मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान

How to Cite

सोनी र. (2025). गतिविधि क्षेत्रों में प्रारंभिक साक्षरता को बढ़ावा. प्राथमिक शिक्षक, 44(4), p.44-53. https://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4695

Abstract

भारत में 34 वर्षों पश्चात आई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत (फॉउडेशन लिटरेसी और न्यूमरेसी) मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान पर विशेष बल दिया गया है। शिक्षा नीति के अनुसार 2025 तक नेशनल मिशन के माध्यम से फॉउंडेशन लिटरेसी और न्यूमरेसी कौशल प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

बच्चे प्री-स्कूल में अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से विभिन्न कौशल सीखते है, इसीलिए बच्चे में भाषा और शुरूआती साक्षरता का विकास भी प्री-स्कूल के शिक्षकों की ही ज़िम्मेदारी है। शिक्षक बच्चों में संप्रेषण कौशल विकसित करने के लिए पर्याप्त अवसरों का प्रबंध करें जिससे, सुनने, बोलने, पढ़ने और लिखने का विकास होता है। इस लेख में फांउडेशन लिटरेसी यानि कि प्रारंभिक साक्षरता को किस तरह से कक्षा के वातावरण में बुन सकते हैं, पर चर्चा की गई है।

इस लेख में यह बताया गया है कि किस तरह शिक्षक बच्चों को बातचीत, अभिनय, पढ़ने और लिखने की तैयारी के अधिक-से-अधिक अवसर प्रदान कर सकता है। उदाहरणस्वरूप मुद्रित सामाग्री से बच्चों का परिचय कराने के लिए सबसे पहले कक्षा में मुद्रण-समृद्ध परिवेश उपलब्ध कराएँ। अक्षर चार्ट बच्चों के दृष्टि स्तर पर लगाएँ तथा स्तरवार अनुरूप कहानी की किताबें उपलब्ध कराएँ, जिससे बच्चों का रूझान प्रिंट की तरफ आकर्षित होगा। परिवेश में उपलब्ध मुद्रित सामाग्री, जैसे- बिस्कुट, टॉफी इत्यादि के रैपर आदि से शुरूआत कराएँ। बच्चों को अधिकाधिक शुरूआती पढ़ने-लिखने की तैयारी व साक्षरता के अनुभव दें, जिससे उनके लिए प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश करना सुगम हो जाए और वे अपनी स्कूली यात्रा का भरपूर आनंद उठा सकें।

लेख में यह भी बताया गया है कि किस तरह से प्रांरभिक साक्षरता के विकास हेतु विद्यालय में नाटकीय खेल से साक्षरता, संगीत, गति एवं कला के माध्यम से साक्षरता संबंधित क्रियाकलाप कराए जा सकते हैं, जो न केवल बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करते हैं, बल्कि साथ ही साथ उनमें समूह में कार्य करने की क्षमता का विकास भी करते हैं। इस लेख में इस बिंदु पर भी प्रकाश डाला गया है कि स्कूल के साथ-साथ किस तरह से माता-पिता, परिवार के अन्य सदस्य और समुदाय बच्चों के भाषा के सीखने में योगदान दे सकते हैं।