Published 2025-09-02
Keywords
- प्रारंभिक शिक्षा का प्रभाव,
- पूर्व प्राथमिक शिक्षा,
- शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009
How to Cite
Abstract
प्रारंभिक वर्षों में बच्चों के मस्तिष्क का विकास अधिक तीव्रता से होता है और प्रारंभिक शिक्षा का प्रभाव एक लंबे समय तक रहता है। ऐसा विभिन्न अनुसंधानों में पाया गया है कि गुणवत्तापूर्ण पूर्व प्राथमिक शिक्षा में भाग लेने वाले बच्चे अपने समकक्ष बच्चों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। शिक्षा का ठोस आधार विकसित करने के लिए पूर्व प्राथमिक शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। भविष्य की सभी शिक्षण अधिगम प्रक्रियाएँ भी इस पर निर्भर करती हैं। हालांकि, अभी तक हमारे देश में पूर्व प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं था। शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में प्री-स्कूली शिक्षा का वर्णन तो है पर लागू करने की कोई बाध्यता नहीं है। हाल ही में बनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने 'शुरुआती वर्षों' (Early Years) में अधिक रुचि दिखाई है। इस बात ने अनुसंधानकर्ता को भारत में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ई.सी.सी.ई.) की वर्तमान स्थिति और इसके बारे में विभिन्न नीति दस्तावेज़ों की राय की जाँच-परख करने के लिए प्रेरित किया। प्रस्तुत लेख में ई.सी.सी.ई. के महत्व और इसकी अनुपस्थिति में चुनौतियों को समझने के लिए, ई.सी.सी.ई. कक्षा की गतिविधियों का एक नमूना भी दिया गया है। ई.सी.सी.ई. एक ओर बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करती है और दूसरी ओर, बच्चों को सिखाने और समझाने में मदद करती है। लेख के अंत में ई.सी.सी.ई. कार्यक्रम के उचित रखरखाव और विकास को सुनिश्चित करने के लिए कुछ सुझावों पर प्रकाश डाला गया है। मुख्य सुझावों में शिक्षक प्रशिक्षण के लिए विनियमन और मानकों के लिए कानून बनाना, एक नाटक आधारित कक्षा, संवादात्मक गतिविधियाँ, समस्या समाधान, कला-एकीकृत और लचीला पाठ्यक्रम शामिल हैं, इसके साथ ही आर.टी.ई. 2009 में ई.सी.सी.ई. को शमिल करना भी सम्मिलित है।