Vol. 43 No. 3 (2019): प्राथमिक शिक्षक
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व्याकरण की घंटी

शारदा कुमारी
प्राचार्य, मंडलीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, आर.के.पुरम, नई दिल्ली

Published 2025-09-02

Keywords

  • राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा,
  • भाषा शिक्षण

How to Cite

कुमारी श. (2025). व्याकरण की घंटी. प्राथमिक शिक्षक, 43(3), p.79–85. https://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4582

Abstract

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 सुझाती है कि भाषा शिक्षण के अंतर्गत व्याकरणिक इकाइयों को संदर्भ के साथ जोड़कर पढ़ाया जाना चाहिए। 'संदर्भ में व्याकरण' से तात्पर्य है कि कक्षा में जिस विधा का भी पठन किया जा रहा हो या जिस प्रकार की भी चर्चा चल रही हो, उसी में से व्याकरणिक इकाई को लेकर उस पर समझ बनाई जाए। उदाहरण के तौर पर कक्षा में जल चक्र की प्रक्रिया समझाई जा रही है तो इस प्रक्रिया के अंतर्गत इस्तेमाल की जा रही शब्दाबली जल, हवा, बादल, पेड़, नदी, समुद्र आदि के माध्यम से व्याकरणिक इकाई संज्ञा के बारे में बताया जाए और विद्यार्थियों के साथ सवाल जवाब हों कि उनके इर्द-गिर्द और कौन से नाम वाले शब्द हैं। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 यह भी सुझाती है कि भिन्न-भिन्न विषयों को कला के किसी भी रूप से समावेशित कर पढाया जा सकता है। प्रस्तुत लेख प्राथमिक स्तर पर पढ़ाई जाने वाली व्याकरणिक इकाइयों, जैसे-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि को कला के भिन्न-भिन्न स्वरूपों जैसे दृश्य एवं मंचन आदि के साथ समेकित कर पढाने के अनुभवों पर प्रकाश डालता है। इस लेख में उदाहरण सहित उल्लेख किया गया है किस प्रकार से व्याकरणिक इकाई को बच्चों के संदर्भ से लिया जाए और फिर कला के किसी भी स्वरूप के साथ समन्वित कर उसकी समझ बनाई जाए।