Published 2025-09-02
Keywords
- संज्ञानात्मक प्रक्रिया,
- शिक्षण पूर्व-प्राथमिक
How to Cite
Abstract
बच्चा वातावरण में उपस्थित विभिन्न प्रकार के उद्दीपकों के प्रति तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ करके धीरे-धीरे अपने वातावरण का ज्ञान प्राप्त करता है। बाह्य जगत का ज्ञान बच्चे को ज्ञानेंद्रियों के द्वारा प्राप्त होता है।
ज्ञानेंद्रियों के प्रभाव को मस्तिष्क तक पहुँचने की प्रक्रिया को संवेदना कहते हैं। संवेदना की तार्किक व्याख्या को प्रत्यक्षीकरण कहते हैं। पूर्व अनुभवों के आधार पर बनी मानसिक प्रतिमाएँ संप्रत्यय कही जाती हैं। बच्चे के व्यवहार को समझने के लिए इन सभी संप्रत्यय को समझना अत्यंत आवश्यक तथा महत्वपूर्ण है। वस्तुतः बच्चा क्या व्यवहार करता है, क्यों करता है तथा कैसे करता है, यह तीनों प्रश्न मनोवैज्ञानिकों के लिए सदैव ही अत्यंत महत्वपूर्ण रहे हैं। निःसंदेह बच्चे तथा वातावरण के बीच होने वाली सतत अंतर्क्रिया ही बच्चों के व्यवहार को निर्धारित करती है। अतः तार्किक ढंग से व्यवहार करने से पूर्व बच्चों के लिए अपने पर्यावरण को जानना अत्यंत आवश्यक तथा महत्वपूर्ण है। बच्चा अपने पर्यावरण को कैसे जानता है, उस पर कैसे नियंत्रण करता है, उससे किस प्रकार से अंतक्रिया करता है, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसका उत्तर संवेदना, प्रत्यक्षीकरण तथा संप्रत्यय के अध्ययन से मिल सकता है। प्रस्तुत शोध-पत्र में संवेदना, प्रत्यक्षण तथा संप्रत्यय निर्माण के विषय में चर्चा की गई है। साथ ही शिक्षक किस प्रकार से बच्चों के संवेदना, प्रत्यक्षण तथा संप्रत्यय निर्माण की शिक्षा के लिए उचित वातावरण प्रदान करके उनकी ज्ञानेंद्रियों का विकास करेंगे, इस विषय पर भी चर्चा करते हुए संवेदना, प्रत्यक्षण तथा संप्रत्यय निर्माण के शैक्षिक महत्व को बताया गया है।