खंड 42 No. 2 (2018): प्राथमिक शिक्षक
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ऐसे कम हो सकता है बस्ते का बोझ

संदीप जोशी
व्याख्याता, राज्य उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रेवत, जालोर, राजस्थान

प्रकाशित 2025-07-30

संकेत शब्द

  • बचपन

सार

कंधे पर भारी-भरकम बस्ते का बोझ, एक हाथ में पानी की बोतल और दूसरे हाथ में लंच बॉक्स लिए, धीमी गति से थके-थके से चलते पाँव। मासूम चेहरों को ऐसी स्थिति में देखकर पीड़ा होती है। सोचने वाली बात है कि हम उन्हें सभ्य, सुसंस्कृत, सक्षम नागरिक बनने की शिक्षा दे रहे हैं या केवल कुशल भारवाहक बनने का प्रशिक्षण। बचपन की मस्तियाँ, शैतानियाँ, नादानियाँ, किलकारियाँ, निश्छल हँसी, उन्मुक्तता, जिज्ञासा आदि अनेक बाल-सुलभ क्रियाओ को बस्ते के बोझ ने अपने वजन तले दबा दिया है।