खंड 39 No. 2-3 (2015): प्राथमिक शिक्षक
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अंकों की आपाधापी में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (सी.सी.ई.) की किरण

रुचि वर्मा
सहायक आचार्य, डी.ई.एस.एम., एन.सी.ई.आर.टी., नई दिल्ली

प्रकाशित 2025-06-17

सार

“ये बच्चा कक्षा में सबसे होशियार है क्योंकि सबसे अधिक अंक इसके आते हैं और यह हमेशा सबसे कम नंबर पाता है।” इस प्रकार के वक्तव्य कानों में पड़ना एक आम बात है। होशियारी का प्रतीक परीक्षा में प्राप्त अंक और परीक्षा में प्राप्त अंकों का गणित ही सफलता की कुंजी। इस प्रकार का समीकरण हमारी शिक्षा पद्धति का अभिन्न अंग बन गया है। एक कक्षा से दूसरी कक्षा में उन्नति इसी अंक व्यवस्था पर टिकी है। जिसके जितने अधिक अंक, उसके पास उतनी अधिक पदोन्नति। यानी अंक और पदोन्नति के समीकरण को समान प्रतीक द्वारा प्रदर्शित किया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसी प्रकार की मानसिक अवधारणा से हम लोग बंधे हैं।