खंड 40 No. 1 (2016): प्राथमिक शिक्षक
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संवाद से खोली शिक्षा की राह

प्रकाशित 2025-05-07

सार

यही कोई दो-ढाई वर्ष पहले की बात है। वेजाड़े के दिन थे। उस दिन आसमान में सूरज का कहीं अता-पता न था, बादल हवा के साथ तैर रहे थे। नरैनी ब्लॉक संसाधन केंद्र में मेरी नियुक्ति के ये शुरुआती दिन थे। मेरे साथ ही चार अन्य सहयोगी भी थे। मैं ठंड से बचने के लिए हथेलियों को आपस में रगड़ रहा था। लेकिन ठंड तन-मन में हावी थी। कुछ लकड़ियाँ जोड़कर हम सबने बाहर खुले में आग तापने का निर्णय लिया। हालाँकि, लकड़ियाँ गीली थीं और धुआं उगल रही थीं जो आँख-नाक में घुस रहा था। लेकिन नईं गीली लकड़ियों में आग भभकने की आशा में हम लोग चारों ओर बैठकर बातें कर रहे थे। तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी। उधर से एक गाँव का नाम लेते हुए खंड शिक्षा अधिकारी का निर्देश मिला…