Vol. 42 No. 4 (2018): प्राथमिक शिक्षक
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बच्चों की शिक्षा में शिक्षक-अभिभावक संबंध की भूमिका एक विश्लेषण

अखिलेश यादव
शोधार्थी (पी.एच.डी.), केंद्रीय शिक्षा संस्थान (शिक्षा शास्त्र विभाग), दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

Published 2025-07-30

Keywords

  • शिक्षक-अभिभावक संबंध,
  • पाठ्यचर्या एवं पुस्तक,
  • संस्कृति

How to Cite

यादव अ. (2025). बच्चों की शिक्षा में शिक्षक-अभिभावक संबंध की भूमिका एक विश्लेषण. प्राथमिक शिक्षक, 42(4), p.30-35. http://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4526

Abstract

प्रस्तुत शोध पूर्णतः प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8) को केंद्रबिंदु में रखकर किया गया है। शोधार्थी ने बतलाया है कि बच्चों की शिक्षा में अभिभावक-शिक्षक संबंध का अच्छा होना शिक्षा के लिए सकारात्मक होता है। शोध में वर्णित शिक्षक-अभिभावक संबंध शोधार्थी का आशय है— अभिभावकों एवं शिक्षकों के मध्य संपर्क से। जब हमारे मन में एक शिक्षक का दृश्य चित्रित होता है तब शिक्षक की क्या अभिधारणा होती हैं क्या हम शिक्षक को पाठ्यचर्या एवं पुस्तक से बढ़ा कक्षीय ज्ञान प्रदाता के रूप में देखते हैं प्रायः यह देखा गया है कि जब विद्यालय ने बच्चों को घर में अभिभावक के साथ पढ़ने के लिए प्रेरित किया, तो ऐसा सामने आया कि उन्हें उन  बच्चों के मुकाबले अधिक फ़ायदा ह हुआ है जो सि‍र्फ़विद्यालयों में ही शिक्षा प्राप्‍त करते हैं। बच्चों की भाषा विकास में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान होता है। रायपुर के प्राथमिक विद्यालय के अवलोकन के पश्चात लेखक ने पाया कि विद्यालय में नियमित (दो माह के अंतराल पर) शिक्षक-अभिभावक संपर्क कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जिसमें अभिभावकों के सहयोग से बच्चों के शैक्षिक बाधक तत्वों की पहचान कर उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाता है एवं बच्चों के पालन-पोषण के मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
साथ ही अभिभावकों की मदद से कैसे बच्चों में पढ़ने की संस्कृति विकसित की जा सकती है, लेख में इस पर भी चर्चा की गई है। बच्चों के कक्षा ज्ञान को अभिभावकों की मदद से वास्तविक जीवन से जोड़ा और उपयोग किया जा सकता है। अंत में कहा जा सकता है कि एक बच्चे के जीवन में दो महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं  शिक्षक और अभिभावक  जिनके मध्य सकारात्मक संबंध का होना अति आवश्यक होता है।