Published 2025-01-03
Keywords
- शिक्षा-दर्शन,
- संविधान और शिक्षा
How to Cite
Abstract
यह लेख डॉ. भीमराव अंबेडकर के शिक्षा-दर्शन की प्रासंगिकता पर आधारित है, जो भारतीय समाज में सामाजिक समानता और राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा के महत्व को समझाने में सहायक है। डॉ. अंबेडकर का मानना था कि शिक्षा न केवल व्यक्तिगत उन्नति का साधन है, बल्कि यह सामाजिक सुधार और जातिवाद को समाप्त करने के लिए एक प्रभावी उपकरण भी है।
डॉ. अंबेडकर ने शिक्षा को एकमात्र मार्ग माना जिसके द्वारा समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है। उनका दृष्टिकोण था कि शिक्षा हर व्यक्ति को सशक्त बनाती है, और यह विशेष रूप से नीच जातियों और वंचित वर्गों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके विचार में, शिक्षा से ही समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व का वास्तविक अर्थ प्राप्त किया जा सकता है, और यह राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक शर्त है।
लेख में यह भी बताया गया है कि अंबेडकर का शिक्षा-दर्शन भारतीय समाज के सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में था। उन्होंने संविधान निर्माण के समय शिक्षा को धार्मिक और जातिवादिक बंदिशों से मुक्त करने की दिशा में कई कदम उठाए। अंबेडकर का मानना था कि राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ शिक्षा का समान अवसर प्राप्त करना जरूरी है ताकि सभी नागरिकों को समान अधिकार मिल सकें।