खंड 45 No. 2 (2021): प्राथमिक शिक्षक
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पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तक का समीक्षात्मक अध्ययन

सुमित रिसर्च एसोसिएट, शिक्षा विभाग, शिक्षा विद्यापीठ, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)
रिसर्च एसोसिएट, शिक्षा विभाग, शिक्षा विद्यापीठ, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)
सरिता चौधरी
पूर्व अतिथि अध्यापक, शिक्षा विभाग, शिक्षा विद्यापीठ, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)

प्रकाशित 2025-10-24

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रिसर्च एसोसिएट, शिक्षा विभाग, शिक्षा विद्यापीठ, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) स., & चौधरी स. . (2025). पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तक का समीक्षात्मक अध्ययन. प्राथमिक शिक्षक , 45(2), p.67-81. https://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4871

सार

इक्सीसवीं सदी की सामाजिक अपेक्षाओं ने न केवल मानव जीवन के प्रत्येक पहलू में परिवर्तन किया बल्कि इसकी आवश्यकताओं का भी वैशिष्टीकरण किया है जिसकी पूर्ति के लिए शिक्षा के क्षेत्र में भी व्यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। मानव संसाधन विकास में शिक्षा का विशिष्ट महत्व होता है और शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में पाठ्यपुस्तकें महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं। वर्तमान समय में विश्व के तमाम देश अपनी पाठ्यपुस्तकों में समाज की आवश्यकतानुकूल परिवर्तन एवं परिमार्जन कर रहे हैं। ऐसे में यह जानना अति आवश्यक हो जाता है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में पर्यावरण अध्ययन की पुस्तकों का स्वरूप कैसा है। इसके साथ ही यह देखना भी आवश्यक है कि प्राथमिक स्तर पर इस विषय का पठन-पाठन किस तरह किया जा रहा है। यदि वास्तव में देखा जाए तो पर्यावरण अध्ययन, विज्ञान, सामाजिक अध्ययन एवं पर्यावरण से जुड़ी अवधारणाओं और मुद्दों को समेकित रूप में देखता है। भारत में यह विषय कक्षा 3-5 तक पढ़ाया जाता है, जोकि आगे की कक्षाओं में उपरोक्त तीनों विषयों की बुनियाद भी रखता है, इसीलिए शोधार्थी द्वारा इस शोध पत्र में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्, नयी दिल्ली द्वारा प्रकाशित कक्षा 5 (सत्र 2020-21) की पर्यावरण अध्ययन विषय की पाठ्यपुस्तक (हिंदी माध्यम) में सम्मिलित विषय-वस्तु का समीक्षात्मक अध्ययन किया गया। पाठ्यपुस्तक का समीक्षात्मक अध्ययन करने के उपरांत शोधार्थी ने पाया कि विभिन्न अध्यायों में शामिल की गई अधिगम सामग्री में विभिन्न क्रियाकलापों को सम्मिलित कर इसको अधिक रोचक बनाया गया है लेकिन कुछ जगह आवश्यक सुधार कर इसकी गुणवत्ता को और अधिक अभिवृद्धित किया जा सकता है। शोध परिणाम तथा सुझावों को दृष्टिगत रखते हुए प्राथमिक स्तर के शिक्षक पर्यावरण अध्ययन की कक्षा के अधिगम पारिस्थितिकी को और अधिक निर्माणवादी बना सकते हैं जिससे अधिगम उद्देश्यों को प्राप्त करना और अधिक आसान हो जाएगा।