प्रकाशित 2025-10-24
संकेत शब्द
- मानव निर्माण की प्रक्रिया,
- कल्याणकारी एवं तार्किक चिंतन
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सार
शिक्षा और उससे जुड़ी अवधाणाएँ अपने मूल स्वभाव में बच्चों के संस्कार और उनमें अंतर्निहित क्षमताओं के परिमार्जन और परिष्करण से जुड़ी हुई हैं। ये अवधारणाएँ संस्कृतिकरण के अत्यंत दृष्टिगत होती हैं। शिक्षा अपने मूल रूप में मानव निर्माण की प्रक्रिया है और मानव निर्माण में मूल्यों और संस्कारों का विशेष महत्व है। ये मूल्य स्वयं में निरंतर परिवर्तशील होते हैं और किसी भी मनुष्य को उस स्तर पर पहुंचने में सहायक होते हैं जहाँ वे एक सुसंस्कृत मानव के रूप में अवस्थित हो सकें। सुसंस्कृत होने का अर्थ है कल्याणकारी एवं तार्किक चिंतन, आचरण और व्यवहार जो किसी भी मनुष्य को एक सुसंस्कृत समाज का सदस्य बनने एवं समाज के कल्याण में अपनी महती भूमिका का निर्वाह करने में मदद करता है। प्रश्न यह है कि मानव निर्माण की यह प्रक्रिया कैसे संपन्न हो? ऐसा कौन-सा शिक्षाशास्त्र है जो इस प्रक्रिया को संपादित करने में सहायक होगा? इस प्रक्रिया में शिक्षक, शाला और अभिभावकों की क्या भूमिका होगी? प्रस्तुत लेख में इन्हीं प्रश्नों के उत्तरों के चिंतन और खोज का प्रयास किया गया है।