प्रकाशित 2025-10-24
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सार
वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में शिक्षा का सार्वभौमीकरण एक सर्वमान्य लक्ष्य है। 'सभी के लिए शिक्षा (Education for All initiative)' संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों में से एक है। दिव्यांग विद्यार्थियों की शिक्षा इस लक्ष्य का एक प्रमुख आयाम है (यूनेस्को, 2005)। इस लक्ष्य की प्राप्ति का एक प्रमुख एवं सशक्त साधन समावेशी शिक्षा है। सतत विकास का एजेंडा-2030 भी सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण और आजीवन सीक्षने के लिए समावेशी शिक्षा पर बल देता है (युनेस्को, 2019)। सतत विकास का एजेंडा 2030 के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत भी पढ़ाई में कमज़ोर बच्चों के लिए सभी स्तरों पर शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण सुनिश्चित करने हेतु प्रतिबद्ध है। इसके लिए भारत में समावेशी शिक्षा को अत्यधिक महत्व दिया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 समतामूलक और समावेशी शिक्षा को स्वयं में एक आवश्यक लक्ष्य मानते हुए समाज निर्माण के लिए इसे एक आवश्यक साधन के रूप में स्वीकार करती है। इसके लिए इस नीति में पूर्व विद्यालयी स्तर से ही दिव्यांग बच्चों का समावेशन करने तथा उनकी समान भागीदारी सुनिश्चित करने की अनुसंशा की गई है। इस नीति में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि दिव्यांग बच्चों को प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक की शिक्षा सुलभ कराने के लिए राज्य हर संभव प्रयत्न करेगा। नीति में इन बच्चों के लिए नियमित या विशेष स्कूली शिक्षा का विकल्प उपलब्ध कराने की बात की गयी है। इसके लिए विशेष शिक्षकों के माध्यम से संसाधन केंद्रों को यह ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है कि वे गंभीर अथवा एक से अधिक दिव्यांग बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा में मदद करें। इसके साथ ही उच्चतर शिक्षा घर में ही उपलब्ध कराने एवं कौशल विकसित करने की दिशा में उनके माता-पिता या अभिभावकों की भी मदद करें।