खंड 44 No. 4 (2020): प्राथमिक शिक्षक
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हिंदी भाषा शिक्षण में कहानी (कंचा) द्वारा शिक्षण के सामाजिक अनुभवों के आधार पर विश्लेषणात्मक अध्ययन

अभिलाषा बजाज
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, शिक्षा विभाग, बी.ई.एल.ई.डी., अदिति महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय

प्रकाशित 2025-09-02

संकेत शब्द

  • राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005,
  • पाठ्यपुस्तकों की भूमिका

सार

सभी बच्चे स्वभाव से ही सीखने के लिए प्रेरित रहते हैं और उनमें सीखने की क्षमता होती है। विद्यालय के भीतर तथा बाहर सीखने की प्रक्रिया चलती रहती है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 बच्चों के अनुभवों एवं उनकी सक्रिय भागीदारी को महत्व देती है। शिक्षा को एक सक्रिय सामाजिक गतिविधि के रूप में देखते हुए यह पाठ्यचर्या बच्चे की स्वायत्तता, रचनात्मकता, सीखने की सहज इच्छा, उत्सुकता आदि पर बल देती है। विद्यार्थी को जीवन अनुभव प्रदान करने में पाठ्यपुस्तकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पाठ्यपुस्तकों में ऐसी रचनाएँ हों जिसमें बच्चों की दुनिया को ठीक से समझा गया हो और वह बच्चों की कल्पनाओं को स्थान देती हों। इसी संदर्भ में हिंदी भाषा के लिए निर्धारित पाठ्यपुस्तक विद्यार्थियों को सामाजिक अनुभव के अवसर प्रदान करने में कहाँ तक सक्षम है? इस पर शोध अध्ययन किया गया। शोध अध्ययन में कक्षा सात की पाठ्यपुस्तक (वसंत) में संकलित कहानी 'कंचा' की विषयवस्तु का विश्लेषण एवं विद्यालयी कक्षा अवलोकन किया गया।