प्रकाशित 2025-09-02
संकेत शब्द
- सर्वांगीण विकास,
- जीवन-कौशल शिक्षा,
- शिक्षक की भूमिका
##submission.howToCite##
सार
बच्चों का सर्वांगीण विकास करना अर्थात उनके सामाजिक, मानसिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, चारित्रिक आदि सभी पक्षों का विकास करना शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है; परंतु आज के परिप्रेक्ष्य में सबसे बड़ी सच्चाई यह भी है कि शिक्षा व शिक्षा प्रणाली बच्चों के चरित्र निर्माण के क्षेत्र में कहीं न कहीं विफल होती जा रही है। आधुनिकता के पर्दे में अपने चारित्रिक मूल्यों को खोते जा रहे हैं। शिक्षार्थी व समाज शिक्षित तो हो रहे हैं, पर उनमें सांस्कारिक मूल्य विलुप्त होते जा रहे हैं या यूं कहें कि शिक्षित हैं पर संस्कारों से दूर हैं। आज यह समस्या समाज के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है। इस समस्या के निवारण में हमारी शिक्षा, शिक्षकों व अभिभावकों की क्या भूमिका हो सकती है? शिक्षित होने के साथ-साथ चरित्र निर्माण क्यों जरूरी है? यह लेख चरित्र निर्माण के संदर्भ में शिक्षा, विशेषकर जीवन-कौशल शिक्षा व शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालने का प्रयास करता है।