Published 2025-10-24
Keywords
- शिक्षा नीति
How to Cite
Abstract
आज हम एक ऐसे पड़ाव पर खड़े हैं, जहाँ एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तमाम नए शैक्षिक सुधारों के साथ भारतीय विद्यार्थियों के लिए भारतीय आदर्शों और आवश्यकताओं पर आधारित शिक्षा का संकल्प व्यक्त करते हुए हमारे बीच उपस्थित है। जहाँ तक भारतीय आदर्शों और आवश्यकताओं पर आधारित शिक्षा की बात है, उसके स्वरूप को समझने के लिए महात्मा गांधी के शैक्षिक दर्शन और उनकी शैक्षिक योजना के आलोक में इसे बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। क्या यह शिक्षा नीति उसी तरह के भारत की कल्पना प्रस्तुत कर रही है, जैसा महात्मा गांधी भारत को देखना चाहते थे। क्या सर्वोदय व समग्र विकास की कोई अलग अवधारणा इसके मूल में है? कहीं समय के साथ कदमताल के प्रयास में महात्मा गांधी का दृष्टिकोण को भारत पीछे तो नहीं छूटता जा रहा? और अगर महात्मा गांधी आज भी प्रासंगिक हैं तो इस शिक्षा नीति में उनके शिक्षा संबंधी विचार किस तरह प्रतिबिंबत हो रहे हैं इन्हीं प्रश्नों के साथ प्रस्तुत लेख में विमर्श को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है। जहाँ तक इस नीति के लक्ष्यों और आदशों की बात है, ऐसा प्रतीत होता है कि इस नीति ने भारत और भारत की समस्याओं को समझने और उसके समाधान के लिए महात्मा गांधी की दृष्टि को प्रासंगिक और महत्वपूर्ण माना है और उसे ही आधार मानकर भारत के भविष्य को देखने का प्रयास किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि यदि क्रियान्वयन के स्तर पर शिथिलता न बरती गयी तो यह नीति निश्चित ही भारत के भविष्य का निर्धारण करने वाली एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ साबित होगी।