Vol. 45 No. 2 (2021): प्राथमिक शिक्षक
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वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में शिक्षा का सार्वभौमीकरण एक सर्वमान्य लक्ष्य है। 'सभी के लिए शिक्षा (Education for All initiative)' संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों में से एक है। दिव्यांग विद्यार्थियों की शिक्षा इस लक्ष्य का एक प्रमुख आयाम है : गुणवत्ता समावेशी शिक्षा

विनय कुमार सिंह
विनय कुमार सिंह प्रोफेसर, विशेष आवश्यकता समूह शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्, श्री अरबिंदो मार्ग, नयी दिल्ली

Published 2025-10-24

Keywords

  • गुणवत्ता गुणवत्ता समावेशी शिक्षा

How to Cite

सिंह व. क. (2025). वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में शिक्षा का सार्वभौमीकरण एक सर्वमान्य लक्ष्य है। ’सभी के लिए शिक्षा (Education for All initiative)’ संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों में से एक है। दिव्यांग विद्यार्थियों की शिक्षा इस लक्ष्य का एक प्रमुख आयाम है : गुणवत्ता समावेशी शिक्षा. प्राथमिक शिक्षक, 45(2), p.18-30. https://ejournals.ncert.gov.in/index.php/pp/article/view/4857

Abstract

भारत में सभी के लिए विद्यालयी शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में निरंतर कई प्रयास किए जा रहे हैं जिससे सभी की अंतर्निहित विविधताओं से पूरे समाज को अवगत व लाभान्वित किया जा सके। विद्यालयी शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु विद्यालयी संरचना में विकास, शिक्षा प्रणाली में संशोधन, सभी बच्चों का नामांकन, कक्षा-कक्ष में शिक्षण-अधिगम गतिविधियों में सुधार, सीखने के समान अवसर, अधिगम संप्राप्ति, बच्चों के विकास के आकलन की विभिन्न विधियों का समागम, समावेशी शिक्षा के लिए आवश्यक कौशलों के विकास हेतु शिक्षकों का प्रशिक्षण और सुविधा वंचित समूहों के बच्चों की शिक्षा से संबंधित कई लाभकारी योजनाओं का क्रियान्वयन इत्यादि अनेक महत्त्वपूर्ण कदम हैं। ये सभी कदम विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच शिक्षा की असममानता को कम करने की दिशा में अनवरत क्रियाशील हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों को विशेष रूप से निर्दिष्टि किया गया है जिससे उन्हें समान रूप से सीखने के अवसर प्रदान किए जा सकें और सभी सामाजिक वगर्गों का समुचित विकास हो। शिक्षा और सामाजिक न्याय संबंधी अधिनियमों व विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से भारतीय समाज की समावेशी संस्कृति में व्यापकता लाने का प्रयास किया जा रहा है। आज सारा विश्व कोविड-19 वैश्विक महामारी से जूझ रहा है और भारत जैसा विशाल जनसंख्या वाला देश भी इससे अछूता नहीं रहा है। इस महामारी के गंभीर प्रभाव लगभग सभी क्षेत्रों में देखने को मिले हैं। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक, सामाजिक, रोजगार, संप्रेषण और पर्यटन इत्यादि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए है। बच्चों का शिक्षण-अधिगम दूरस्थ शिक्षा व्यवस्था के जरिये संचालित किया जा रहा है ताकि वे शिक्षा से जुड़े रहें। अचानक आई इस विपदा में दूरस्थ ऑनलाइन शिक्षा ही एक तरह से एकमात्र साधन है, जिसकी सभी के लिए सुलभता, सुगम्यता एवं उपलब्धता हो। ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में कई उपाय किए जा रहे हैं। बावजूद इन तमाम कोशिशों और प्रयासों के दूरस्थ ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से सभी बच्चे, मुख्यतः सुविधा वंचित व दिव्यांग बच्चे आशानुरूप लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं जिसके कई कारण हैं। इस वस्तु-स्थिति से हम सभी परिचित हैं कि कोविड-19 के कारण इस आपदाकाल में बिना आवश्यक तैयारी के ही हमें दूरस्थ ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम को अवैकल्पिक तौर पर अस्थायी रूप से अपनाना पड़ा है। इस शिक्षा व्यवस्था को व्यवस्थित, समन्वयित, संगठित और नियंत्रित करने के विभिन्न उपाय भी कई तरह से किए जा रहे हैं फिर भी चुनौतियाँ कम नहीं हैं। इस लेख में इन्हीं सारे मुद्दों और चुनौतियों, जैसे कि कोविड-19 का विद्यालयी शिक्षा पर प्रभाव, सुविधा वंचित समूहों एवं दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के संदर्भ में दूरस्थ ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से संचालित शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया, आवश्यक प्राविधियाँ, उपकरण व तैयारी, इन बच्चों की आवश्यकताएँ, शिक्षा जगत से जुड़े हितधारियों के अथक प्रयासों व समक्ष आई चुनौतियों की समीक्षा कर आवश्यक शैक्षिक रणनीतियों को अपनाने हेतु सुझाव दिए गए हैं।