खंड 42 No. 2 (2018): प्राथमिक शिक्षक
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भाषा विकास

कृष्ण चंद्र चौधरी
असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग, एस.बी. कॉलेज, (वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय), आरा, भोजपुर, बिहार
प्रभात कुमार मिश्र
एसोसिएट प्रोफेसर, शैक्षिक मनोविज्ञान एवं शिक्षा आधार विभाग, एन.सी.ई.आर.टी., नई दिल्ली

प्रकाशित 2025-07-30

संकेत शब्द

  • भाषा,
  • संप्रेषण,
  • बौद्धिक विकास

सार

मानव जीवन में भाषा विकास का महत्वपूर्ण स्थान है और यह एक अर्जित गुण है। भाषा व्यक्ति को सार्थकता प्रदान करती है। अपने भावों-विचारों को दूसरों के समक्ष प्रस्तुत करना एवं दूसरे के भावों-विचारों को समझना भाषा का महत्वपूर्ण आयाम है। यद्यपि भाषायी विविधता भारत में हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, पंजाबी, मराठी, तेलगू, तमिल, मलयाली इत्यादि कई तरह की भाषाएँ बोली जाती हैं। भारत में लगभग 1500 प्रकार की भाषाएँ बोलने वाले लोग हैं, इन भाषाओं को कुछ प्रमुख भाषाओं के साथ समूहबद्ध कर दिया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो भाषा संप्रेषण का एक सशक्त माध्यम है और इसमें अभिव्यक्ति तथा समझना दोनों निहित है। अभिव्यक्ति संकेतों द्वारा (बिना बोले) या लिखकर की जा सकती है। बच्चे अभिव्यक्ति से पहले समझना सीखते हैं। भाषा विकास बौद्धिक विकास की सर्वाधिक उत्तम कसौटी मानी जाती है। बच्चे को भाषा का ज्ञान सर्वप्रथम परिवार से होता है। तत्पश्चात् समुदाय, समाज एवं विद्यालय के संपर्क में उसका भाषायी ज्ञान विकसित होता है।

भाषा सामाजिक आवश्यकता है और समाज में अपनी बात एक-दूसरे तक सफलतापूर्वक पहुँचाना ही भाषायी कौशल है। भाषा से ही मनुष्य चिंतन व मनन् करता है, तर्क करता है, कल्पना करता है और अपनी पहचान स्थापित करता है, बच्चों को भाषा की आवश्यकता अपने विचारों व भावनाओं को व्यक्त कर अपने दूसरे साथी या किसी और व्यक्ति तक अपना संदेश पहुँचाने की लिए होती है। भाषा अन्य विषयों का ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम है। भाषा का संबंध केवल लिखने और पढ़ने से नहीं है। बच्चे सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिये भाषा सीखते हैं। परिवार ही बच्चे का मूल सामाजिक वातावरण होता है। तत्पश्चात् वे शाला पूर्व शिक्षा केंद्रों एवं शालाओं के माध्यम से सामाजिक व्यवहार सीखते हैं। विभिन्न स्थानों व परिस्थितियों में भाषा का प्रयोग करने के मौके मिलना बच्चों के भाषायी विकास के लिए आवश्यक है। बच्चों के भाषायी विकास के लिये उन्हें अलग-अलग परिस्थितियों और स्थानों में भाषा का प्रयोग करने के अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिए।